Wednesday, 22 November 2017

महान गुरु नानक देव जी


गुरु नानक देव जी की जीवनी 


  • पूरा नाम  -  गुरु नानक 
  • जन्म  - 15 अप्रैल 1469
  • जन्मस्थान  -  ननकाना साहिब तलवंडी , ( अब पाकिस्थान )
  • पिता - कल्यानचंद ( मेहता कालू )
  • माता  -  तृप्ता देवी 
  • शिक्षा  -  पंजाबी , हिन्दी फारसी तथा संस्कृत की शिक्षा ली .
  • विवाह  -  सुलक्षणा देवी के साथ .
गुरु नानक साहिब सिख धर्म के पहले गुरु थे। नानक जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। इनका जन्म 15 अप्रैल 1469 यानि पंद्रहवें कार्तिक पूर्णमासी को एक हिन्दू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्यानचंद या मेहता कालू जी था, माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। इनकी बहन का नाम नानकी था। उनका परिवार कृषि करके आमदनी करते थे।  गुरुनानक का जहां जन्म हुआ था वह स्थान आज उन्हीं के नाम पर अब ननकाना के नाम से जाना जाता है। ननकाना अब पाकिस्तान में है।












वे उम्र के 16वें वर्ष में शादी होने के बाद उन्होंने अपने सिध्दान्तों के प्रसार हेतु एक संन्यासी की तरह अपनी पत्नी और दोनों पुत्रों को छोड़कर धर्म के मार्ग पर निकल पड़ें। और लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढ़ाना आरंभ कर दिया। धार्मिक कट्टरता के वातावरण में उदित गुरु नानक जी ने धर्म को उदारता की एक नई परिभाषा दी। उन्होंने जगह-जगह घूमकर तत्कालीन अंधविश्वासों, पाखन्डों आदि का जमकर विरोध किया। वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के भारी समर्थक थे। धार्मिक सदभाव की स्थापना के लिए उन्होंने सभी तीर्थों की यात्रायें की और सभी धर्मों के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने हिन्दू धर्म और इस्लाम, दोनों की मूल एवं सर्वोत्तम शिक्षाओं को सम्मिश्रित करके एक नए धर्म की स्थापना की जिसके मिलाधर थे प्रेम और समानता। यही बाद में सिख धर्म कहलाया। भारत में अपने ज्ञान की ज्योति जलाने के बाद उन्होंने मक्का-मदीना की यात्रा की और वहां के निवासी भी उनसे अत्यंत प्रभावित हुए। 25 वर्ष के भ्रमण के पश्चात् नानक कर्तारपुर में  बस गये और वहीँ रहकर उपदेश देने लगे। उनकी वाणी आज भी ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में संगृहीत है। 38 साल की उम्र में सुल्तानपुर लोधी के पास स्थित वेन नदी में नहाते समय गुरु नानक ने भगवान का उपदेश सुना कि वह मानवता की सेवा करने के लिए खुद को समर्पित कर दें।  उसके बाद जो पहला वाक्य उनके मुंह से निकला वह यह था कि ना तो कोई हिंदू है और ना मुसलमान है। उन्होंने अपनी सुमधुर सरल वाणी से जनमानस के हृदय को जीत लिया। लोगों को बेहद सरल भाषा में समझाया सभी इंसान एक दूसरे के भाई है। ईश्वर सबके पिता है, फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच-नीच कैसे हो..


गुरु नानक देव जी मृत्यु :

जीवन के अंतिम दिनों में इनकी ख्याति बहुत बढ़ गई जिन-जिन स्थानों से गुरु नानक गुजरे थे वे आज तीर्थ स्थल का रूप ले चुके हैं। अंत में 22 सितंबर 1539 में ‘जपूजी’ का पाठ करते हुये उनका स्वर्ग प्रयाण हुआ। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए। नानक अच्छे कवि भी थे। उनके भावुक और कोमल हृदय ने प्रकृति से एकात्म होकर जो अभिव्यक्ति की है, वह निराली है। उनकी भाषा बहता नीर थी जिसमें फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली, अरबी, संस्कृत और ब्रजभाषा के शब्द समा गए थे।





No comments:

Post a Comment

गुरु गोविन्द सिंह

गुरु गोविन्द सिंह गुरु गोबिन्द सिंह  (जन्म: २२ दिसम्बर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बह...